| 1. | संसकिरत है कूप जल, भाषा बहता नीर।
|
| 2. | संस्किरत है कूप जल भाखा बहता नीर
|
| 3. | संसकिरत है कूप जल, भाषा बहता नीर।
|
| 4. | कबीर ने कहा ‘ संसकीरत है कूप जल भाखा बहता नीर।
|
| 5. | संस्कृत के एकछल प्रभाव को तोड़ा, उसे कूप जल घोषित किया।
|
| 6. | कबीरदास की प्रसिद्ध पंक्ति है-संस्किरित है कूप जल, भाखा बहता नीर।
|
| 7. | तभी यह कहावत प्रचलित हुई कि संस्कृत ठहरी कूप जल और भासा बहता पानी।
|
| 8. | विद्यापति ने संस्कृत को कूप जल कहे बिना कहा-देसिल बयना सब जन मिट्ठा.
|
| 9. | संसकिरत है कूप जल, भाखा बहता नीर “ या ” का भाखा का संसकिरत प्रेम चाहिए सांच ”.
|
| 10. | लोकजीवन में भाषायी शुद्धता और उसके विकास को रेखांकित करती एक कहावत पर गौर करें-संस्किरत है कूप जल, भाखा बहता नीर।
|